अजीब सी दशा है दिल की,
बिना पिंजरे का कैदी हो गया है...
उड़ने की ख्वाइस थी हमेशा
अब जब मिला है आसमां खुला ...
सहि -गलत कि बेड़ियों से बंधा है ।
पी.एस : आज मन हुआ हिन्दी में लिखूँ :)
पी.एस : लिखने कुछ और बैठी थी, लिखा कुछ और :D
पी.एस : घर कि बहुत याद आती है आजकल :(
पी.एस : वो छोड़ो ये सुनो पश्मीना धागो के संग कोई आज बुने ख्वाब :)