Saturday, February 20, 2016

दिल


अजीब सी दशा है दिल की,

बिना पिंजरे का कैदी हो गया है... 

उड़ने की ख्वाइस थी हमेशा 

अब जब मिला है आसमां खुला ...

सहि -गलत कि बेड़ियों से बंधा है  । 



 पी.एस : आज मन हुआ हिन्दी में लिखूँ :)
 पी.एस : लिखने कुछ और बैठी थी, लिखा कुछ और :D
 पी.एस : घर कि बहुत याद आती है आजकल :(